एन-इक्कोईक चेम्बर जिसमें ध्वनि का स्तर ऋणात्मक मान (-) डेसीबल में चला जाए ऐसी एक रचना ओर् फील्ड लेबोरेटरी, मिनीएपोलिस, अमेरिका में बनाई गई है। इस कमरे में बठने वाले को बाहर की ध्वनि सुनाई नही देती और अपने ही शरीर के अन्दर की ध्वनियाँ इस तीव्रता से सुनाई देने लगती है कि कोई इन ध्वनियों को अधिक समय तक बर्दास्त नही कर सकता है। मतिभ्रम का शिकार हो जाता है। प्रकृति में फैले अनेक विकिरणों से बचने के लिए योगी हिमालय की कन्दराओं में जा कर चेतना सम्बन्धी अनुसन्धान करते हैं। लेकिन एन-इक्कोईक चेम्बर इन अनुसन्धानों के लिए मददगार हो सकते हैं। भारत में आध्यात्मिक अनुसन्धान, आध्यात्मिक पर्यटन आदि के लिए इन रचनाओं का बहुत महत्व है। सरकारों को, आध्यात्मिक गुरूओं को, पर्यटन और वैकल्पिक चिक्तिसा से जुड़े लोगों को इन रचनाओं की भारत में स्थापना पर विचार करना चाहिए।
Thursday, November 19, 2015
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